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टेट में 60% से कम अंक तो सामान्य वर्ग के पदों पर नहीं होगा चयन


जयपुर.थर्डग्रेड टीचर भर्ती (लेवल वन) में राजस्थान हाईकोर्ट ने सामान्य वर्ग के पदों पर आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों के चयन व नियुक्ति पर रोक लगा दी है, जिनके आर.टेट परीक्षा में 60% से कम अंक थे। अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव व प्रमुख पंचायत सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायाधीश एम.एन.भंडारी ने यह अंतरिम आदेश प्रेरणा जोशी की याचिका पर दिया। इसमें कहा गया है कि थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा के लेवल वन में ऐसे अभ्यर्थियों का चयन सामान्य वर्ग में किया गया जिनके आर.टेट में 60% से कम अंक हैं, जबकि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।
तृतीय श्रेणी पीटीआई के लिए सी.पी.एड. धारक ही योग्य: हाई कोर्ट ने तृतीय श्रेणी पीटीआई (शारीरिक

70000 B.ed holders will not appear for Raj TET first level: Supreme Court



Supreme Court on Friday give a shock to around 70000 B.ed holders by saying that they will not be allowed to appear for first level of Rajasthan Teachers Eligibility Test to be held on Saturday. These candidates were appear in third grade teacher recruitment exam (first level) on June 2. For the time being, SC has refused to allow these candidates to appear for the first level.

Rajasthan government presented an argument that due to excess numbers of B.ed holders in state, it is not possible to arrange admission card. On this plea, court ordered that till the final decision, these candidates will seize to appear for the first level and in case if final decision come in favour of B.ed holders then a special exam will be conducted for them.

It is noted that Rajasthan High court had also seized B.ed holder candidates to appear in first level exam. After this ruling, B.ed holders protested outside the office of Congress State President Chandrabhan.

शिक्षक भर्ती में शामिल हो सकेंगे टेट के फर्स्ट लेवल में पास बीएड धारी

जोधपुर.आरटेट के फर्स्ट लेवल में पास बीएड डिग्रीधारक अब तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। राजस्थान हाईकोर्ट ने शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास ने कहा कि योग्यता के बावजूद केवल एक तारीख के बाद किसी योग्य व्यक्ति को अयोग्य घोषित करना उचित नहीं है। इस मामले में 17 मई को बहस पूरी हो गई थी, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बहस में कोर्ट ने एनसीटीई, राज्य सरकार तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दलीलें खारिज कर दी थीं।
मामले को लेकर वीराराम व अन्य ने याचिकाएं दायर की थीं। इन्होंने न्यायालय को बताया था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 तथा एनसीटीई के नियमों के अनुसार टेट के फस्र्ट लेवल में उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2012 में कक्षा 1 से 5 तक अध्यापन कराने के योग्य हैं, जबकि राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2012 तक ही इन अभ्यर्थियों को इस भर्ती परीक्षा के योग्य माना है। 
चूंकि, शिक्षक भर्ती परीक्षा के आवेदन इस साल फरवरी के अंत में मांगे गए थे, ऐसे में टेट के प्रथम स्तर में पास बीएड डिग्रीधारक अभ्यर्थी अयोग्य घोषित हो गए। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जीआर पूनिया, एनसीटीई के अधिवक्ता कुलदीप माथुर व बोर्ड के अधिवक्ता राकेश अरोड़ा ने सरकार के आदेश को
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक मामले में टेट लेवल प्रथम उत्तीर्ण बीएड धारकों को ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती परीक्षा में अस्थायी रूप से शामिल करने के अंतरिम आदेश दिए हैं। वहीं बिना न्यायालय की इजाजत के इन अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम भी घोषित नहीं करने को कहा है।

रतनलाल जाट, विनोद कुमार शर्मा निवासी शाहपुरा धोद वगैरह बीएड धारक है। इन्होंने टेट लेवल प्रथम की परीक्षा उत्र्तीण कर ली है। इधर, जिला परिषदों ने ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती परीक्षा में टेट लेवल प्रथम उत्र्तीण बीएड धारकों को लेवल प्रथम के लिए योग्य नहीं माना है।

इस पर अभ्यर्थी रतनलाल,विनोद कुमार, नोपसिंह वगैरह ने अधिवक्ता गजेंद्र कुमार शर्मा के जरिए उच्च न्यायालय में याचिका पेश की थी। इस पर न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश दिए।

टेट के लेवल प्रथम में पास अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में शामिल करने के निर्देश


जयपुर.आरटेट का लेवल प्रथम उत्तीर्ण करने वाले प्रार्थी बीएड धारकों को हाईकोर्ट ने अस्थाई तौर पर थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा 2012 (लेवल प्रथम) में शामिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही प्रमुख शिक्षा सचिव, ग्रामीण व पंचायती राज सचिव व प्रांरभिक शिक्षा निदेशक सहित पांच को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने यह अंतरिम आदेश सोमवार को राजेश कुमार मीणा व अन्य की याचिका पर दिया। अधिवक्ता अंशुमान सक्सेना ने बताया कि प्रार्थी ग्रेजुएट व बीएड धारक हैं और आरटेट के लेवल प्रथम में उत्र्तीण हैं, लेकिन उन्हें थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा 2012 के लिए योग्य नहीं माना है। बीएसटीसी अभ्यर्थियों को ही परीक्षा के लेवल प्रथम के योग्य माना है।

टीचर भर्ती परीक्षा में उन्हें शामिल नहीं करना कानूनी रूप से गलत है क्योंकि एनसीटीई नियमानुसार वे पहली से पांचवीं कक्षाओं को पढ़ाने के लिए योग्य हैं। लिहाजा, उन्हें परीक्षा में शामिल करवाया जाए। अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव सहित अन्य को नोटिस जारी कर प्रार्थियों को अस्थाई तौर पर परीक्षा में शामिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि उनका परीक्षा परिणाम सील्ड कवर में रखें और बिना अदालत अनुमति घोषित नहीं करें।
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सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती का पेपर आउट, ब्लूटूथ से नक़ल, फिर भी परीक्षा जारी!

जयपुर.द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में मोबाइल के ब्लूटूथ ईयर फोन से नकल कराने वाले गिरोह के पकड़ में आने व पर्चा बाजार में पहुंचने के बाद भी आरपीएससी इस पेपर को आउट नहीं मान रहा। आयोग का कहना है कि परीक्षा केंद्रों पर पेपर खुलने के बाद बाहर आने के मामले सामने आए हैं, जिसे नकल की श्रेणी में ही माना जाएगा। पेपर आउट तब माना जाता है, जब केंद्रों पर खुलने से पहले ही पेपर बाजार में बिकने लग जाएं।


एक ही सेंटर से क्यों पास होते हैं दर्जनों अभ्यर्थी?

आरपीएससी व अन्य परीक्षाओं में सामने आया कि झुंझुनूं, सीकर, धौलपुर व जयपुर आदि जिलों के इक्के-दुक्के सेंटरों से सभी अभ्यर्थी पास हो जाते हैं। जांच एजेंसियों का कहना है कि ब्लू टूथ व अन्य तरीकों से नकल कराने वाले गिरोह द्वारा पूरे सेंटर को ही खरीद लिए जाने से यह धांधली होती है। आरपीएससी सचिव का कहना है कि पिछली परीक्षा में भी दो केस ऐसे आए थे, जिनमें एक-एक सेंटर से ज्यादा अभ्यर्थी पास हुए थे।

इन केंद्रों के अभ्यर्थियों के परिणाम रोक कर जांच की गई। इस बार भी परिणाम के समय यदि किसी सेंटर से 80 फीसदी से ज्यादा परीक्षार्थियों के पास होने की बात सामने आई तो जांच की जाएगी।

सभी परीक्षाओं के बाद कोई निर्णय :

ब्लू टूथ ईयरफोन से नकल कराने वाले गिरोह द्वारा पेपर बाहर लाने या अन्य तरीकों से नकल के गुरुवार शाम तक जयपुर, सिरोही व बाड़मेर जिलों में पांच मामले सामने आए। गुरुवार के आंकड़े अभी नहीं मिले हैं। फिलहाल पेपर आउट नहीं मान रहे।

जिन जिलों में पुलिस या एसओजी द्वारा पकड़े गए मामलों में अगर यह सिद्ध होता है कि पेपर आउट हुआ था तो सभी परीक्षाओं के बाद आयोग स्तर पर कोई निर्णय किया जाएगा। हमने भी इस बार नकल रोकने व पेपर के बाहर जाने पर रोकथाम के लिए हर चार कमरों पर एक विजिटिंग परीक्षक लगाया है। आयोग के 2 अधिकारियों के नंबर सार्वजनिक किए हैं, जिन पर शिकायत आते ही संबंधित सेंटर समन्वयक से तत्काल कार्रवाई कराई जा सके।

केके पाठक, सचिव, आरपीएससी

फैक्ट फाइल

दो पेपर के साथ परीक्षा देने वाले : करीब 1.6 लाख

एक पेपर वाले अभ्यर्थी : करीब 4.5 लाख

पहले पेपर के लिए परीक्षा केंद्र: करीब 2 हजार

दूसरे पेपर के लिए प्रदेशभर में परीक्षा केंद्र: करीब 1200

ऐसे आउट माना जाता है पेपर

यदि किसी परीक्षा के दौरान पेपर की हू-ब-हू कॉपी किसी भी माध्यम से सेंटर से बाहर आ जाए व लोग उसका उपयोग कर लें तो पेपर आउट माना जाता है। इसके अलावा सेंटर पर पेपर खोले जाने से पांच मिनट पहले या पांच मिनट बाद तक भी यदि पेपर बाहर आ जाए तो पेपर आउट माना जाता है।

सील खोले जाने के पांच की जगह 15 मिनट तक भी बाहर आना आउट की श्रेणी में आ सकता है। लेकिन ज्यादा शातिर सेंटर संचालक रात को ही सील खोल पेपर आउट कर देते हैं और फिर सील लगाकर सुबह पेपर के समय कुछ कहानी गढ़ कर मामले को बाजार में किसी गिरोह द्वारा आउट करना बता देते हैं।

एसडी कारीगर,
पूर्व सहायक रजिस्ट्रार, राजस्थान यूनिवर्सिटी


पेपर, परीक्षार्थी, वीक्षक तीनों डमी, फिर होती है असली नकल

ब्लू टूथ से नकल के मामले में भास्कर टीम द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया है कि एक गिरोह प्रत्येक छात्र से करीब पांच लाख रु. तक लेकर नकल करा रहा है। नकल कराने के तरीका अजीबो-गरीब हैं। गिरोह के सदस्य प्रश्न-पत्र, परीक्षार्थी और वीक्षक तक को डमी के रूप में इस्तेमाल करके अलग-अलग परीक्षा केंद्रों पर बैठे अभ्यर्थियों को सामूहिक नकल कराते हैं।

विभिन्न परीक्षाओं में पकड़ में आए ऐसे सात गिरोहों की पुष्टि पुलिस भी कर चुकी है। ये गिरोह प्रत्येक परीक्षा में 100 से 150 छात्रों से जुड़कर पांच करोड़ रु. से अधिक की डील करते हैं।

यूं होती है नकल

1. चूंकि ऑनलाइन आवेदन में सर्टिफिकेट संलग्न नहीं होता, इसलिए गिरोह के कुछ सदस्य बतौर डमी अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं। इनका काम केवल गिरोह से जुड़े कैंडिटेड की मदद करना होता है। इसी तरह प्राइवेट स्कूलों द्वारा बिना जांच पड़ताल रखे जाने वाले वीक्षक के रूप में भी गिरोह के सहयोगी क्लास रूम तक आसानी से पहुंच जाते हैं। डमी अभ्यर्थी अपने साथ पुराना प्रश्नपत्र भी लाते हैं और नया पेपर मिलते ही अपने टेबल पर पुराना प्रश्नपत्र रखकर नया पेपर डमी वीक्षक को दे देते हैं।

चूंकि वीक्षक स्कूल में घूम सकता है, इसलिए वो इस पेपर को आसानी से स्कूल के दीवार के बाहर मुस्तैद गिरोह के सदस्य तक पहुंचा देता है। ठीक दस मिनट बाद ही वापस वो पेपर उसी तरह अभ्यर्थी तक पहुंच जाता है।

2. किसी स्कूल में विशेष सख्ती पर गिरोह विकल्प भी तैयार रखता है। ऐसे में डमी वीक्षक अपने पास मोबाइल (जो गिरोह द्वारा उपलब्ध कराया जाता है) से प्रश्न पत्र की फोटो लेकर गिरोह के सदस्यों को एमएमएस भेज देते हंै। जयपुर और जोधपुर सहित प्रदेशभर में इस तरह से नकल का तरीका अपनाया जाता है।

3. नकल का खास जरिया है एक माइक्रो ब्लू टूथ (साइज में बहुत छोटा होता है), जो शर्ट की कॉलर, बांह, कान के आभूषण, मफलर, घड़ी में लग जाता है। इसका संबंध कान के अंदर लगे एक इयर फोन से होता है। ये पेन की नोक जितना छोटा है और कान में लगने के बाद आसानी से दिखाई नहीं पड़ता है।

इस फोन और ब्लू टूथ की कीमत 15000 से 30000 के बीच है। एक किमी तक की दूरी पर रखे मोबाइल से यह ब्लू टूथ कनेक्ट रहता है। अगर परीक्षा कक्ष के बाहर मोबाइल रखा है तो कक्षा के अंदर बैठकर इस ब्लू टूथ के माध्यम से बात हो सकती है। इस तरह से कक्षा में बैठा परीक्षार्थी गिरोह के सदस्यों या गिरोह के कंट्रोल रूम से जुड़कर प्रश्नों के उत्तर देता है।

ये है सिस्टम की कमियां...

- वीक्षकों की जांच नहीं होती है, क्या असल में वीक्षक स्कूल का स्टाफ है या बाहरी है।

- वीक्षक इतने अप्रशिक्षित होते है कि उन्हें नकल की रोकथाम के संबंध में ज्ञान नहीं होता है।

- अधिकांश अभ्यर्थियों का कहना है कि उनकी जांच नहीं की गई है।

- दूरदराज और गांवों में परीक्षा केंद्र स्थापित किए जाते है। इनमें भी अधिकांश निजी स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाते है।

ये हैं उपाय...

- ऐसी परीक्षाओं में सरकारी शिक्षक और कर्मचारी लगाए जाए।

- वीक्षक भी सरकारी कर्मचारी हो।

- परीक्षाएं संभागीय स्तर पर आयोजित हो।

-जांच के लिए विशेष उपकरण हो और विशेष प्रशिक्षित दस्ता हो।

नोट..

- नकल से संबंधित जानकारियां, उन अभ्यर्थियों ने दी है, जिन्होंने पुलिस प्रशासन को परीक्षा के 20 घंटे पहले ही आगाह किया था कि ऐसे होगी ब्लू टूथ से नकल। साथ ही गिरोह से जुड़े लोगों के नाम भी उपलब्ध कराए थे।

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