हरियाणा में शिक्षा क्षेत्र की दुर्दशा

" आधी अधूरी कवायद "हरियाणा में शिक्षा क्षेत्र की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं। इसे सुधारने के लिए अब तक जितने प्रयास हुए उनमें न तो तार्किकता का ठोस आधार दिखाई दिया, न ही भविष्य का कोई स्पष्ट लक्ष्य। हर कार्य को सरसरी तौर पर निपटाने की कोशिश से तस्वीर और धुंधली व साथ ही विकृत होती गई। शिक्षा क्षेत्र को आधुनिक, प्रगतिशील और प्रतिस्पर्धी रूप देने के लिए ग्राम स्तर तक सरकारी स्कूलों में हजारों की संख्या में एजुसेट सिस्टम झोंक दिए गए। सरकार व शिक्षा विभाग के उत्साह की इंतहा देखिये कि यह आकलन करने की कोशिश भी नहीं की कि इनके संचालन के लिए स्कूलों में कुशल व तकनीकी तौर पर दक्ष अध्यापक व अन्य कर्मचारी हैं भी या नहीं। नतीजा वही रहा जिसकी आशंका थी, 90 प्रतिशत एजुसेट खराब होकर आज धूल फांक रहे हैं। अब नई कवायद के तहत उन टीवी सेटों अथवा मॉनीटरों को अन्य विद्यालयों में भेजा जाएगा जो एजुसेट खराब होने के कारण इस्तेमाल नहीं किए जा रहे। सरकार से एजुसेट साइट संचालन का कांट्रैक्ट लेने वाली कंपनी ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेज कर अपनी योजना से अवगत करवाया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एजुसेट योजना की विफलता के लिए सरकार ने किसे दोषी माना? वास्तविकता यह है कि इसकी जांच के लिए आरंभिक तैयारी तक नहीं की गई। सरकारी संसाधनों के अपव्यय एवं विद्यार्थियों को हुए शैक्षणिक नुकसान की भरपाई के लिए क्या प्रयास हुए, इस बारे में भी न तो जानकारी दी गई और न ही किसी भावी योजना के बारे में बताया गया। सरकारी स्कूलों को वास्तव में प्रतिस्पर्धी रूप देने के लिए एजुसेट व इंटरनेट नितांत आवश्यक है परंतु विडंबना देखिए एजुसेट सिस्टम विफल हो गया और इंटरनेट की सुविधा सरकारी स्कूलों में उपलब्ध कराने की योजना अभी आरंभिक चरण में ही है। सरकार को यह बात तो माननी ही पड़ेगी कि अतार्किक प्रयोगवाद से शिक्षा क्षेत्र को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। नए कदम के तौर पर टीवी सेटों को अन्य स्कूलों में भेजने से वास्तविक मकसद की प्राप्ति की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। स्कूलों में अध्यापकों व अन्य स्टाफ को तकनीकी तौर पर दक्ष करने के साथ संचार नेटवर्क दुरुस्त करना शिक्षा विभाग की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। इसके बाद ही एजुसेट अथवा इंटरनेट की सुविधा निरंतर उपलब्ध करवाना संभव हो पाएगा। पहले आधार मजबूत कीजिए, बुलंद इमारत तो बाद में ही बन पाएगी।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)

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