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Tax

 दिल्ली। भारत में जो भी पैसा कमाया जाता है उस पर सरकार टैक्स वसूलती है, लेकिन कुछ ऎसी इनकम भी है जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता, यानी कि उसे नॉन-टैक्सेबल इनकम की कैटेगेरी में रखा गया है। 1. ग्रेचुइटी रिटायरमेंट या ग्रेचुइटी के तहत मिला हुआ पैसा टैक्स फ्री होता है। मृत्यु के केस में मृतक की ग्रेचुइटी उसकी विधवा या बच्चों को दे दी जाती है और यहां भी यह टैक्स फ्री ही रहती है। 2. एलआईसी लाइफ इंश्यॉरेंस पॉलिसी से मिला किसी तरह का बोनस या मुनाफे पर भी टैक्स नहीं लगता। 3. वॉलेंटेरी रिटायरमेंट अपनी इच्छा से वक्त से पहले लिए गए रिटायरमेंट पर मिलने वाले पैसे में से 500000 रूपए तक टैक्स फ्री होता है, बशर्ते यह रिटायरमेंट कंपनी की वॉलेंटेरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत किया गया हो।
4. रिट्रेंचमेंट कंपनी के बंद होने या उसके मैनेजमेंट में बड़े बदलाव होने की वजह से कंपनी की तरफ से मिलने वाला पैसा यानी कि रिट्रेंचमेंट पर भी कोई टैक्स नहीं लगता। 5. एग्रीकल्चर इनकम खेती बाड़ी कर कमाई गई इनकम टोटल इनकम में नहीं जोड़ी जाती, लेकिन अगर प्राइमरी प्रोडक्ट को मॉडिफाय कर फाइनल प्रोडक्ट को बेच कर कमाई गई राशि पर टैक्स लगता है। 6. पार्टनरशिप किसी फर्म में पार्टनर होने पर मिली पेमेंट या मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता। 7. ट्रेवल कंसेशन वहीं अगर आपकी कंपनी आपको परिवार समेत भारत में कहीं भी घूमने जाने के लिए पैसा देती है तो इस पर टैक्स नहीं लगता। यह सुविध चार साल में दो बार ली जा सकती है।
8. लीव इनकम 10 महीने के बराबर छुटि्टयों को इनकैश करवाने पर टैक्स नहीं लगता। शर्त यह है कि अपने कार्यकाल में हर साल आपने केवल 30 छुटि्टयां ही बचाई हों, इससे ज्यादा नहीं। 9. पीएफ प्रोविडेंट फंड में जमा करवाए गए पैसे और उस पर मिले ब्याज पर किसी तरह का टैक्स नहीं लतगा। साथ ही सुपरनौशन फंड में भी मिले पैसे पर टैक्स नहीं वसूला जाता। 10. स्कॉलरशिप पढ़ाई के लिए मिलने वाले वजीफे पर टैक्स नहीं चुकाना होता। वहीं राज्य सरकार या केंद्र सरकार से मिले इनाम स्वरूप कैश या काइंड पर भी टैक्स नहीं लगता।

गलत रिटर्न बढ़ा सकता है टैक्स की सिरदर्दी

इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। पहले रिटर्न फाइल करना आसान था। आपको अपने चार्टर्ड एकाउंटेंट को सिर्फ फॉर्म 16 देना पड़ता था और वह आपकी तरफ से रिटर्न फाइल करता था। अब अगर आपकी एनुअल सैलरी 10 लाख या इससे ज्यादा है तो आपको रिटर्न ऑनलाइन दाखिल करना होगा।

इनबिल्ट मैकेनिज्म के चलते ऑनलाइन फाइलिंग में आपको सभी जानकारियां अनिवार्य रूप से देनी होंगी। इनमें रेजिडेंशियल स्टेटस, जेंडर, एंप्लॉयर का टैन आदि शामिल होंगे। जानकारी गलत होने या पूरी नहीं होने पर आईटीआर को गलत मान लिया जाएगा।


आम तौर पर होने वाली गलतियां
ज्यादातर टैक्सपेयर्स अपने रिटर्न में बैंक एफडी से इंटरेस्ट इनकम की जानकारी देना भूल जाते

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