पंजाब के समान वेतनमान देने की नहीं होगी सिफारिश- हरियाणा

पंजाब के समान वेतनमान देने की नहीं होगी सिफारिश


जल्द दे देंगे रिपोर्टकर्मचारियों की वेतन विसंगति हो सकती है दूर। आयोग ने 200 से ज्यादा प्रतिवेदनों पर विचार किया।
डॉ. सुरेंद्र धीमान. चंडीगढ़ वेतन विसंगति आयोग के चेयरमैन जी. माधवन रिपार्ट अगले माह हालांकि वेतन विसंगति आयोग की रिपोर्ट अभी सरकार को सौंपी जानी है मगर आयोग ने 200 से ज्यादा मिले प्रतिवेदनों पर एक-एक बिंदू पर चर्चा की। यूनियन नेताओं और अफसरों के साथ कई दौर की मीटिंग की। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक वाईपी सिंगल ने अपने मुलाजिमों को पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की। मिनिस्ट्रियल स्टाफ ने भी पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की। दो अन्य कैटेगरी के कर्मचारियों ने पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की। कई ने सिर्फ वेतन में आए अंतर को दुरुस्त करने की मांग की। किसी ने ग्रेड पे के अंतर को पाटने की मांग की। इस आधार पर उम्मीद है कि आयोग कर्मचारियों के कुछ वगरें के वेतन में आई विसंगति को दूर करने की सिफारिश कर सकता है
हमारे पास 200 से ज्यादा प्रतिवेदन आए हैं। हमने सुनवाई कर ली है। अब रिपोर्ट तैयार हो रही है। हम जल्द ही अपनी रिपोर्ट दे देंगे मगर किसी भी सूरत में 10 मार्च, 2016 से पहले यह रिपोर्ट दे दी जाएगी। पंजाब के समान वेतनमान देने की सिफारिश इसलिए नहीं की जा सकती क्योंकि सरकार ने केवल स्टडी करने के लिए कहा है न कि सिफारिश करने के लिए।

-जी. माधवन, चेयरमैन

वेतन विसंगति आयोग, हरियाणा
प्रदेश सरकार के कर्मचारियों और अफसरों के वेतन में छठे वेतन आयोग के बाद आई विसंगति को दूर करने के लिए सितंबर 2014 में गठित वेतन विसंगति आयोग पंजाब के समान वेतनमान देने की सिफारिश नहीं करेगा। अलबत्ता आयोग की रिपोर्ट अगले महीने राज्य सरकार को सौंप दी जाएगी। आयोग का कार्यकाल 10 मार्च, 2016 को समाप्त हो जाएगा। इस आयोग के गठन की अधिसूचना तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने की थी। यह अलग बात है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिल पाई।

वेतन विसंगति आयोग के अध्यक्ष जी. माधवन ने हरिभूमि के साथ विशेष बातचीत में कहा कि वे अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। उनके पास 200 से ज्यादा प्रतिवेदन आए हैं। सरकार ने भी उनसे पूछा है कि रिपोर्ट कब तक दे दी जाएगी। आयोग ने सरकार से कहा है कि यह रिपोर्ट जल्द देने का प्रयास करेंगे मगर 10 मार्च, 2016 के बाद कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

ये थे आयोग के मूल बिंदू

जब कांग्रेस सरकार में वेतन विसंगति आयोग का गठन किया गया था तब आयोग को इन मूल बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था - ‘हरियाणा सिविल सर्विसेस (रिवाइज्ड पे) रूल्स, 2008 और हरियाणा सिविल सर्विसेस (एसीपी) रूल्स, 2008 और समय-समय पर उनके संशोधनों को लागू करने से पैदा हुई वेतन विसंगति पर कर्मचारियों के व्यक्तिगत/ एसोसिएशनों/ यूनियनों के प्रतिवेदनों को लेना और उन पर विचार करना और सरकार को उनके प्रतिवेदनों पर उचित सिफारिश करना।’ आयोग का कार्यकाल छह महीने तय किया गया था मगर इसे बढ़ाया जा सकता था।Source-Haribhoomi


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