वैसे शायद यह न होता, लेकिन दिल्ली में युवती से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने समाज के सभी तबकों को झकझोर कर रख दिया है। लिहाजा, बच्चों को स्कूली पढ़ाई-लिखाई से ही अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्यों की तालीम को खास तवज्जो दी जाएगी। इतना ही नहीं, सामाजिक चेतना और युवाओं में बेहतर समझ पैदा करने के मद्देनजर ही मानवाधिकार व जेंडर स्टडीज (लैंगिक अध्ययन) का नया पाठ्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, नैतिक मूल्यों की शिक्षा की पहल करने के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अब मानवाधिकार व जेंडर स्टडीज का नया पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी में है। नया पाठ्यक्रम खास तौर से युवाओं में बेहतर समझ पैदा करने के मद्देनजर तैयार किया गया है। यह कक्षा-11 व 12 के छात्रों के लिए होगा। हालांकि, यह वैकल्पिक विषय के रूप में होगा, लेकिन स्कूलों का इस पर खास फोकस होगा। नए पाठ्यक्रम को सीबीएसई से जुड़े सभी स्कूलों में अगले शैक्षिक सत्र से ही लागू किया जाना है। गौरतलब है कि सीबीएसई ने तो स्कूलों में नैतिक शिक्षा की पहल दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के पहले ही कर दी थी। दिल्ली की हालिया घटना ने उसे इस तरह के दूसरे पाठ्यक्रमों को शुरू करने में तेजी लाने के लिए और सक्रिय कर दिया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वैसे तो स्कूलों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर सरकार का फोकस पहले से ही रहा है। नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क-2005 (राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा) बनने के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और लगभग सभी राज्य सरकारें नैतिक मूल्यों के लिहाज से अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव कर चुकी हैं। एनसीईआरटी ने छात्रों के लिए, जबकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षकों की शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं। एनसीटीई ने एक वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम में शांति (एकाग्र) शिक्षा से जुड़े पाठ में इस मामले में शिक्षकों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला है। मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों का एक तर्क यह भी है कि सीबीएसई तो इस साल नैतिक मूल्यों की शिक्षा से जुड़ी किट स्कूलों को दिया है जबकि, नैतिक मूल्य 2009 से स्कूलों में बच्चों के सतत समग्र मूल्यांकन योजना का भी हिस्सा है
स्कूलों में शुरू होगा जेंडर स्टडीज का पाठ्यक्रम
वैसे शायद यह न होता, लेकिन दिल्ली में युवती से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने समाज के सभी तबकों को झकझोर कर रख दिया है। लिहाजा, बच्चों को स्कूली पढ़ाई-लिखाई से ही अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्यों की तालीम को खास तवज्जो दी जाएगी। इतना ही नहीं, सामाजिक चेतना और युवाओं में बेहतर समझ पैदा करने के मद्देनजर ही मानवाधिकार व जेंडर स्टडीज (लैंगिक अध्ययन) का नया पाठ्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, नैतिक मूल्यों की शिक्षा की पहल करने के बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अब मानवाधिकार व जेंडर स्टडीज का नया पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी में है। नया पाठ्यक्रम खास तौर से युवाओं में बेहतर समझ पैदा करने के मद्देनजर तैयार किया गया है। यह कक्षा-11 व 12 के छात्रों के लिए होगा। हालांकि, यह वैकल्पिक विषय के रूप में होगा, लेकिन स्कूलों का इस पर खास फोकस होगा। नए पाठ्यक्रम को सीबीएसई से जुड़े सभी स्कूलों में अगले शैक्षिक सत्र से ही लागू किया जाना है। गौरतलब है कि सीबीएसई ने तो स्कूलों में नैतिक शिक्षा की पहल दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के पहले ही कर दी थी। दिल्ली की हालिया घटना ने उसे इस तरह के दूसरे पाठ्यक्रमों को शुरू करने में तेजी लाने के लिए और सक्रिय कर दिया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि वैसे तो स्कूलों में नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर सरकार का फोकस पहले से ही रहा है। नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क-2005 (राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा) बनने के बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और लगभग सभी राज्य सरकारें नैतिक मूल्यों के लिहाज से अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव कर चुकी हैं। एनसीईआरटी ने छात्रों के लिए, जबकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षकों की शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं। एनसीटीई ने एक वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम में शांति (एकाग्र) शिक्षा से जुड़े पाठ में इस मामले में शिक्षकों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला है। मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों का एक तर्क यह भी है कि सीबीएसई तो इस साल नैतिक मूल्यों की शिक्षा से जुड़ी किट स्कूलों को दिया है जबकि, नैतिक मूल्य 2009 से स्कूलों में बच्चों के सतत समग्र मूल्यांकन योजना का भी हिस्सा है
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