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चौधरी बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा से इस्तीफा

चंडीगढ़ चौधरी बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा की राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अभी उनका करीब डेढ़ वर्ष का कार्यकाल शेष था। भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे बीरेंद्र सिंह कभी भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। अभी तक उन्होंने औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की है। हरियाणा में सांसद बीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मोर्चा खोलने के साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। इससे यह संकेत मिले थे कि बीरेंद्र सिंह पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले हैं। कांग्रेस ने बीरेंद्र सिंह को भाजपा नेता से उनकी मुलाकात की खबरें मीडिया में आने के बाद गत 31 जुलाई को कारण बताओ नोटिस भी दिया था।

MDU के दो नए क्षेत्रीय केंद्र खोले जाएंगे।

चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के दो नए क्षेत्रीय केंद्र फरीदाबाद और मेवात के नगीना में खोले जाएंगे। यह निर्णय वीरवार को विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद की बैठक में लिया गया। इससे फरीदाबाद और पलवल के साथ-साथ मेवात क्षेत्र के विद्यार्थियों को राहत मिलेगी। पिछले दिनों हुड्डा ने नगीना में क्षेत्रीय केंद्र खोलने की घोषणा की थी।

Now entrance test mendatory for p.hd

Rohtak: एमडीयू में अब पीएचडी के लिए एंट्रेंस टेस्ट जरूरी कर दिया गया है। एंट्रेंस एग्जाम पास करने वाले अभ्यर्थियों के लिए ही अब पीएचडी रजिस्ट्रेशन का रास्ता आसान होगा। नेट पास करने वाले अभ्यर्थियों को इस एंट्रेंस से छूट रहेगी लेकिन एंट्रेंस टेस्ट पास करके एमफिल करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी के लिए दोबारा एंट्रेंस देना होगा। इस मुद्दे पर एसी की बैठक में जोरदार बहस भी हुई और आखिरी में यूनिवर्सिटी प्रशासन को इसे लागू करना ही पड़ा। बैठक में यूनिवर्सिटी के नये रीजनल सेंटर शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा गया था, जिसे पारित कर दिया गया है। एमडीयू की वन प्वॉइंट एजेंडा पर बृहस्पतिवार को बुलाई गई 176वीं एसी की आपात बैठक में दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पीएचडी के लिए यूजीसी के निर्देशों के तहत एंट्रेंस टेस्ट का प्रस्ताव इस बैठक में रखा गया। इससे पहले यह प्रस्ताव 12 अगस्त को हुई ईसी की बैठक में रखा गया था, लेकिन इसमें संशोधन करने के लिए इस प्रस्ताव को लौटा दिया गया था।  प्रस्ताव के मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन एमडीयू या अन्य स्टेट यूनिवर्सिटी के उन अभ्यर्थियों को टेस्ट से छूट देना चाहता था जिन्होंने एमफिल केलिए एंट्रेंस पहले ही पास कर लिया है।  लेकिन कुछ सदस्यों ने इस पर एतराज जताया और एंट्रेंस एग्जाम सभी के लिए जरूरी करने के लिए कहा। प्रस्ताव को लेकर काफी देर बहस होने के बाद सदस्यों की बात को माना गया और एमफिल वालों केलिए भी यह टेस्ट जरूरी कर दिया गया है। ठीक होगा रिसर्च का स्तर सूत्रों का कहना है कि एमफिल और पीएचडी के एंट्रेंस टेस्ट तकरीबन समान ही होता है। ऐसे में अब जो अभ्यर्थी पहले एमफिल का टेस्ट दे चुके हैं उन्हें पीएचडी के लिए उसी स्तर का टेस्ट दोबारा देना पड़ेगा। हालांकि इससे अभ्यर्थियों को ही बेहतर मौका मिलेगा और रिसर्च का स्तर भी ठीक होगा।     

Guest teachers ki regularisation ko court me chunoti

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा कई सालों से कार्यरत गेस्ट टीचर को नियमित करने की दस साल की नीति विवाद में आ गई है। इसे चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस टीएस ढींढसा पर आधारित खंडपीठ ने सरकार से जवाब तलब किया है। गौरतलब है कि सरकार ने पंद्रह हजार से ज्यादा गेस्ट टीचरों को नियमित करने के लिए दस साल की पॉलिसी लागू की है। रेवाड़ी निवासी अनिल कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि हरियाणा सरकार ने 7 जुलाई को इन कर्मचारियों को नियमित करने के लिए दस साल की नीति का जो आदेश जारी किया है वह पूरी तरह से गैर-कानूनी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 में उमा देवी के केस में पांच जजों की खंडपीठ द्वारा दिए गए फैसले के भी खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट अपने आदेशों में कह चुका है कि बिना तय प्रक्रिया के नियुक्त किये गए कॉन्ट्रेक्ट, एडहॉक एवं अस्थायी कर्मियों को नियमित नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा किया जाता है तो यह उन योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा जो तय प्रक्रिया के तहत अपनी नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि वह नियमित नियुक्तियां करे अन्यथा राज्य सरकारें गैर-कानूनी तरीके से कॉन्ट्रेक्ट, एडहॉक एवं अस्थायी कर्मियों की नियुक्तियां कर ही काम चलती रहेंगी।  सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के अनुसार सिर्फ एक बार ही कर्मचारियों को यह फायदा दिया जा सकता है और हरियाणा सरकार वर्ष 2011 में कई कर्मचारियों को पहले ही नियमित कर चुकी है।  परन्तु अब हरियाणा सरकार एक बार फिर ठीक विधानसभा चुनावों से पहले कर्मचारियों को नियमित करने जा रही है जो न सिर्फ गलत गलत है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना भी है। सरकार सीधे तौर पर पिछले दरवाजे से पहले नियुक्तियां कर रही है और अब इन नियुक्त किये गए कर्मियों को नियमित किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने सरकार द्वारा इन कर्मियों को नियमित किये जाने के फैसले पर रोक लगाये जाने की हाई कोर्ट से मांग की है।  याचिका में बताया कि हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक गेस्ट टीचर के खिलाफ फैसला आया है फिर भी सरकार अग्रिम नीति बनाकर दस साल की नीति के तहत इनको पक्का करने का कदम उठा रही है।                       

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